हिन्दू मान्यता के अनुसार हनुमानजी सिन्दूरी अथवा केसर वर्ण के थे , इसीलिए हनुमानजी की मुर्ति को सिन्दूर लगाया जाता है। पूजन विधि के दौरान सीधे हाथ की अनामिका ऊंगली से हनुमानजी की प्रतिमा को सिन्दूर लगाना चाहिए।
हनुमानजी को केवड़ा, चमेली और अम्बर की महक प्रिय है, इसलिए जब भी हनुमानजी को अगरबत्ती या धूपबत्ती लगानी हो, तो इन महक वाली ही लगाना चाहिए। हनुमानजी जल्दी प्रसन्न होंगे। अगरबत्ती को अंगूठे तथा तर्जनी के बीच पकड़ कर , मूर्ति के सामने तीन बार घडी की दिशा में घुमाकर, हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए। हनुमानजी के सामने किसी भी मंत्र का जाप कम से कम पांच बार या पांच के गुणांक में करना चाहिए।
ऐसे तो भक्त हर दिन अपने भगवान को पूज सकते हैं ,परन्तु हिन्दू धर्म में विशेषकर महाराष्ट्र प्रान्त में मंगलवार को हनुमानजी का दिन बताया गया है।इसलिए इस दिन हनुमानजी की पूजा करने का विशेष महत्त्व है। भारत के अलग अलग प्रान्त में मंगलवार के साथ साथ शनिवार को भी हनुमानजी का दिन माना जाता है। इसीलिए इन दोनों दिनों का बहुत महत्व है।भक्तगण इन दिनों में हनुमान चालीसा, सुंदरकांड आदि का पाठ करते हैं। इस दिन हनुमानजी की प्रतिमा पर तेल तथा सिन्दूर भी चढ़ाया जाता है।